पिता चलाते थे खैनी की दुकान, बेटा बना IRS अधिकारी, कुछ ऐसा है निरंजन के संघर्ष की कहानी

कहते हैं कि नेक इरादा हो और दिल में जज्बा हो और निरंतर मेहनत किया जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही करके दिखाया था बिहार के रहने वाले निरंजन कुमार ने। निरंजन ने एक बार नहीं दो दो बार UPSC की परीक्षा पास किया था लेकिन उनके संघर्षों की कहानी सुनकर आप भी कहने लगेंगे कि वाकई में तारीफ के काबिल है।

दरअसल आपको बता दें कि बिहार के नवादा जिले के एक दुकानदार के बेटे निरंजन कुमार ने जब यूपीएससी क्लियर किया तो घर वालों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए निरंजन को काफी संघर्ष करना पड़ा कभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया तो कभी कई किलोमीटर पैदल चलकर कोचिंग जाना पड़ता था। लेकिन नवादा जिले के निरंजन कुमार यूपीएससी की परीक्षा पास करके भारतीय राजस्व सेवा में बड़े ऑफिसर बन चुके हैं।

रंजन के पिता का नाम अरविंद कुमार है, जिनकी एक छोटी सी खैनी की दुकान थी इसी दुकान से जो कमाई होती थी उससे घर परिवार चलता था। निरंजन आईएएस बनना चाहते थे ऐसी स्थिति में उनके लिए एक आईएएस बनना सपना जैसे था। पिताजी किसी काम से जब बाहर जाते थे तो वह खुद खैनी की दुकान चलाते थे खैनी बेचते थे ताकि कुछ आमदनी हो सके।

नवादा जिले के पकरीबरमा गांव के रहने वाले निरंजन कुमार जब यूपीएससी की तैयारी करने की सोची तो यह उनके लिए आसान नहीं था उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पिता की एक छोटी सी खाने की दुकान थी, जिससे किसी तरह से उनका घर चलता था। चार भाई बहनों का पढ़ाई लिखाई का इंतजाम करना परिवार वालों के लिए बहुत ही मुश्किल था। हालांकि मुश्किल स्थितियों के बावजूद भी ना तो उनके परिवार ने साथ छोड़ा और ना ही निरंजन ने हार मानी।

निरंजन के परिवार पर पढ़ाई के खर्च पड़ रहा था तभी उनका नवोदय विद्यालय में सिलेक्शन हो गया। पढ़ाई में खर्चा था नहीं, और पढ़ने के लिए सुविधा भी बहुत थी। वहां से दसवीं करने के बाद इंटर की पढ़ाई के लिए वह पटना चलेगा। उसके बाद फिर मुश्किल एक बार फिर निरंजन के सामने आ गई, इस बार फिर उन्हें पैसे की जरूरत थी इसके लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।

वह खुद अपनी कोचिंग के लिए हर रोज कई किलोमीटर पैदल जाया करते थे तब जाकर उनकी पढ़ाई शुरू हो पाई। 12वीं के बाद उनका सिलेक्शन आईआईटी के लिए हो गया। उसके बाद परिवार की कुछ उम्मीद बंधने लगी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्हें कोल इंडिया में नौकरी मिल गई, नौकरी तो मिल गई हालांकि उनका सपना आईएएस बनने का था। जिसके लिए फिर से उन्होंने तैयारी करना शुरू कर दिया।

निरंजन की निरंतर मेहनत के बाद उन्होंने 2021 में यूपीएससी निकाल लिया और रैंक के हिसाब से तब उन्हें आईआरएस के लिए चुना गया। निरंजन को 535 रैंक मिली थी, जबकि 2017 में उन्हें 728 रैंक मिली थी।

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