MBA छोड़ शुरू किया चाय का बिज़नेस, आज है करोड़ो के मालिक, कभी लोगो के पास जाकर बेचनी पड़ी थी चाय

अम्मी जान कहती है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता! यह डायलाग तो सबने सुना होगा। दरअसल हम यह डायलॉग इसलिए बोल रहे हैं। क्योंकि कुछ ऐसा ही करनामा एक व्यक्ति ने किया है। जो MBA चाय वाला के नाम से मशहूर है। इन्होने एक छोटा धंधा चाय बेचने का किया था चाय बेचकर ही वह आज करोड़पति बन गए हैं इनकी लाइफ की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है आइए जानते हैं-

कौन है यह MBA चाय वाला ?

दरअसल हम जिस शख्स के बारे में बात कर रहे हैं उसका नाम प्रफुल्ल बिल्लोरे है जिन्हें MBA चाय वाला के नाम से मशहूर है। इनका जन्म 14 जनवरी 1996 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। एमबीए का छात्र होते हुए भी उन्होंने चाय का बिजनेस शुरू किया जिसके वजह से आज उन्हें एमबीए चायवाला कहा जाता है।एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आपको बता दे कि MBA चायवाला का टर्नओवर करीब 5 से 6 करोड़ रुपए है। पूरे देश में दूसरा सबसे ज्यादा मशहूर चायवाला है।

करोड़पति बनने तक का सफर 

MBA चाय वाला के नाम से मशहूर प्रफुल्ल बिल्लौर का जन्म एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिख कर एक अच्छी नौकरी करें। पिता के कहने पर प्रफुल्ल ने CAT तथा और कई परीक्षाओं की तैयारी करने में जुट गया। लगातार मेहनत करने के बाद भी तीन बार कैट की परीक्षा में असफल हो गया। उसके बाद वह उदास रहने लगे और सोचने लगे कि आगे क्या होगा।परीक्षा में असफल होने के चलते 2 से ढाई साल मैकडॉनल्ड कंपनी में जॉब करना शुरू किया। उन्हें रिपोर्ट के अनुसार MBA चाय वाला मात्र ₹35 में मैकडॉनल्ड कंपनी में जुड़े और लगभग 4 सालों तक इसी कंपनी से जुड़े रहे और अनुभव प्राप्त किया।

नौकरी करने के दौरान वह हमेशा सोचते थे कि क्यों ना अपना बिजनेस शुरू किया जाए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किस चीज का बिजनेस किया जाए। फिर उनके मन में चाय बेचने का ख्याल आया। इंग्लिश बोलने वाला लड़का के लिए चाय बेचने तो काम इतना आसान नहीं था। हालांकि उन्होंने चाय बेचने का धंधा सोच लिया था। घर से बर्तन उठाकर रोड के किनारे ठेला लगाकर कई महीनों तक करने के बाद अपने काम में मन लग गया। लोग क्या कहेंगे इस बात को छोड़कर चाय का व्यापार खुले मन से शुरू कर दिया।

उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह हुई कि किसी भी कस्टमर का चाय पीने के लिए नहीं आना। जब कस्टमर ही नहीं होगा तो बिजनेस कैसे चलेगा। उसके बाद इन्होंने खुद लोगों के पास जाकर चाय बेचना शुरू कर दिया। उसके बाद धीरे-धीरे लोग चाय पीने के लिए मजबूर हो गया। धीरे-धीरे भेजना इतना चलने लगा कि आज उन्हें मुड़ कर पीछे देखने की जरूरत नहीं पड़ी। चाय का बिजनेस ने एक नया पहचान दे दिया, उन्हें एमबीए चायवाला बना दिया।

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