अगर आप भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं तो इसके 10 बड़े नुकसान जान लीजिये। 

चार्ज करने का समय- पेट्रोल या डीजल कार को टंकी पर मिनटों में फ्यूल डल जाता है. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए कई घंटों का समय लगता है। 

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी-भारत में चार्ज करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। यह स्पष्ट नहीं है कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कब तक तैयार होगा।

रेंज की कमी- बहुत ही कम वहान है जो 500 या उससे ज्यादा किलोमीटर की रेंज देती है। और जो है वह प्रीमियम कैटेगरी में है जिनकी कीमत काफी ज्यादा है।

बैटरी लाइफ कम होना - बैटरी को जितना ही यूज होगा, उसकी लाइफ भी उतनी ही कम होती है। यही नहीं बैटरी पर मौसम का असर भी पड़ता है भारत में लगभग हर जगह तापमान ज्यादा रहता है यहां पर बैटरी कम हो जाती है।

बैटरी की हाई कीमत- इलेक्ट्रिक बहनों में सबसे बड़ा खर्च बैटरी का होता है, इसे बदलने के लिए किसी भी इलेक्ट्रिक कार में लगभग लाखों रुपए का खर्च हो सकता है।

इलेक्ट्रिक वाहनों की ज्यादा कीमत- पेट्रोल और डीजल कारों और टू व्हीलर के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत ज्यादा होती है। यहां तक कि कभी-कभी इनकी कीमत दोगुना भी हो जाती है। 

सस्टेनेबिलिटी-  इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए बिजली की जरूरत होती है और इसका उत्पादन कैसे और कितना हो रहा है यह भी एक बड़ा प्रश्न है 

भारत में वर्कशॉप की कमी- इलेक्ट्रिक वाहनों की टेक्नोलॉजी अभी नई नई है  ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ट्रेंड मैकेनिक की बहुत कमी है और वर्कशॉप की भी कमी है।

पिकअप हाई लेकिन टॉप स्पीड कम-  इलेक्ट्रिक वाहनों में पिकअप जबरदस्त होता है और यह कुछ ही सेकंड में 0 से 60 किलोमीटर की स्पीड पकड़ लेती हैं। हालांकि मोटर की पावर सीमित होने के चलते इसकी टॉप स्पीड काफी कम होती है।

अल्टरनेट फ्यूल का डवलपमेंट- इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स को भविष्य का एक हिस्सा माना जा रहा है लेकिन इसे समाधान के तौर पर नहीं देखा जा रहा है। वही अल्टरनेट फ्यूल खासकर हाइड्रोजन फ्यूलजैसी प्रद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है माना जा रहा है कि मेन स्ट्रीम में ये इलेक्ट्रिक व्हीकल से भी ज्यादा तेजी से आएगी।