हमारा देश बहुत तेजी के साथ आधुनिक होता जा रहा है, जिसकी वजह से यहां एक से बढ़कर एक मेगा प्रोजेक्ट्स देखने को मिलते हैं। यह प्रोजेक्ट्स न सिर्फ भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान बनाने में मदद करते हैं, बल्कि इससे देशवासियों को भी काफी सुविधा होती है। ऐसे में आज हम आपको भारत में शुरू हुए उन टॉप 10 मेगा प्रोजेक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साल 2023 के अंत तक पूरी तरह से कंप्लीट हो जाएंगे और इससे आम लोगों को काफी ज्यादा सहूलियत होगी।

राजकोट ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम राजकोट ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट का आता है, जिसकी शुरुआत साल 2017 में की गई थी। इस एयरपोर्ट को ग्रीन बेल्ट को ध्यान में रखकर तैयार किया है, जो 23,000 स्क्वेयर मीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। राजकोर्ट ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट में एक साथ 14 एयरक्राफ्ट्स को पार्क किया जा सकता है, जबकि यहां एक समय पर 1,800 यात्री आसानी से फिट हो सकते हैं। यह एक एडवांस एयरपोर्ट है, जहां 20 चेकिंग काउंटर्स, 4 एरोब्रिज, एडवांस फायर फाइटिंग सिस्टम और यात्रियों की सुविधा के लिए मॉडन फेसलिटी मौजूद है। चूंकि इस एयरपोर्ट को ग्रीन बेल्ट को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है, इसलिए यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी देखने को मिलता है। इतना ही नहीं राजकोट ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट में सोलर पैनल लगाए गए हैं, जबकि यहां एयरक्राफ्ट्स से निर्मित होने वाली आवाज को रोकने के लिए नॉइस बेरियर लगाए गए हैं। इस परियोजना को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 1,405 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था, लेकिन साल 2019 में इस बजट को बढ़ाकर 2,654 करोड़ रुपए कर दिया गया था। फिलहाल राजकोट ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम जारी है, जिसे दिसंबर 2023 में आम लोगों के लिए शुरू कर दिया जाएगा।

द्वारका एक्सप्रेस-वे
दिल्ली जैसे बड़े शहर में आम लोगों को रोजाना ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है, जिसे कुछ हद तक कम करने के लिए द्वारका एक्सप्रेस-वे नामक मेगा प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत द्वारका में 27.6 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा, जिसमें 8 लेन सड़क की सुविधा होगी। यह एक्सप्रेस-वे मुख्य रूप से द्वारका और गुरुग्राम को जोड़ने के मकसद से बनाया जा रहा है, जिसकी वजह से इन उपनगरों के बीच ट्रैवल करने वाले लोगों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी और वह कम समय में द्वारका से गुरुग्राम तक का सफर तय कर पाएंगे। इस एक्सप्रेस-वे को एनएच 248 बीबी के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी आधारशिला साल 2019 में रखी गई थी। द्वारका एक्सप्रेस-वे को 4 अलग अलग फेज में बनाकर तैयार किया गया है, जिसका फिलहाल 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस एक्सप्रेस-वे में अप्रैल से मई महीने के बीच गाड़ियां दौड़ने लगेगी, जिससे आम लोगों को ट्रैफिक से बड़ी राहत मिलेगी। द्वारका एक्सप्रेस-वे में ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए स्टेट ऑफ आर्ट इंटेलिजेंस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम, टोल मैनेजमेंट सिस्टम और सीसीटीवी कैमरा जैसी हाईटेक व्यवस्था देखने को मिलती है।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित जैतपुर गांव को आजमगढ़ जिले से जोड़ने के लिए एक मेगाप्रोजेक्ट को शुरू किया गया है, जिसके तहत 4 लेन सड़क बनाकर तैयार की जा रही है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे को दोस्तपुर और निजामाबाद के बीच बनाकर तैयार किया जा रहा है, जिसकी कुल लंबाई 91.53 किलोमीटर है। इस लिंक एक्सप्रेस के बन जाने से लखनऊ तक का सफर करना आसान हो जाएगा, जबकि एक्सप्रेस-वे के किनारे ग्रीन बेल्ट को बनाकर तैयार किया ज रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के 4 बड़े जिलों से होकर गुजरेगा, जिसमें गोरखपुर, अंबेडकरनगर, संतकबीर नगर और आजमगढ़ का नाम शामिल है। इस एक्सप्रेस-वे के तहत 7 फ्लाईओवर, 7 बड़े पुल, 27 छोटे पुल, 100 अंडरपास और 389 पुलियों को बनाकर तैयार किया जाएगा, वहीं अब तक इस एक्सप्रेस-वे का 65 प्रतिशत तक काम पूरा हो चुका है और दिसंबर 2023 तक इस एक्सप्रेस-वे को आम लोगों के लिए शुरू कर दिया जाएगा।

न्यू पंबन रेल ब्रिज
भारत के मेगाप्रोजेक्ट्स की लिस्ट में अलग नाम न्यू पंबन रेल ब्रिज का आता है, जिसे तमिलनाडु के रामेश्वरम में बनाकर तैयार किया जा रहा है। यह एक रेलवे ब्रिज है, जिसकी नींव समुद्र के ऊपर रखी गई है और इस ब्रिज के जरिए पंबन आईलैंड को मुख्य जमीन से जोड़ा जाएगा। पंबन ब्रिज की आधारशिला साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी, जो पुराने रेलवे ब्रिज की तुलना में तीन मीटर ऊंचा और समुद्र से 22 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी-ब्रिज होगा, जिसकी वजह से पंबन आईलैंड और रामेश्वर तक यातायात व पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं पंबन ब्रिज के जरिए भारत की आखिरी सड़क घनुषकोड़ी तक की यात्रा करना आसान हो जाएगा। न्यू पंबन रेलवे ब्रिज को आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया जा रहा है, जो 90 डिग्री के एंगल में ओपन होगा और समुद्र से गुजरने वाले बड़े जहाजों को रास्ता देने का काम करेगा। इस रेलवे ब्रिज के ऊपर से ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गुजर सकती है, जिसमें डबल लाइन की सुविधा मौजूद है और इस मेगाप्रोजेक्ट में कुल 560 करोड़ रुपए की लागत आई है।

बैंगलोर मैसूर एक्सप्रेस-वे
कर्नाटक के बैंगलोर शहर में एक मेगा प्रोजेक्ट एक्सप्रेस-वे को शुरू किया गया है, जिसके तहत बैंगलोर को मैसूर से जोड़ा जाएगा। यह एक 10 लेन एक्सप्रेस-वे होगा, जिसमें 6 लेन में गाड़ियां चलेगी जबकि बाकी के 4 लेन को सर्विस रोड के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 118 किलोमीटर है, जिसकी मदद से बैंगलोर से मैसूर तक का सिर्फ 75 मिनट में पूरा हो जाएगा। बैंगलोर मैसूर एक्सप्रेस-वे की वजह से ऊटी, वायनाड, कोझिकोड, कूर्ग और कन्नूर जैसे स्थानों में यात्रा करने में भी आसानी होगी, जिससे पर्यटन के क्षेत्र में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस मेगा प्रोजेक्ट क तहत 9 मुख्य पुल, 42 छोटे पुल, 64 अंडरपास, 11 ओवरपास और 4 रेल ओवर ब्रिज बनाए जाएंगे, जबकि इस एक्सप्रेस-वे को बनाने में 8,480 करोड़ रुपए का खर्च आया है।

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक
भारत के इस मेगा प्रोजेक्ट को यूएसबीआरएल के नाम से भी जाना जाता है, जिसे कारोबारी और व्यापारियों की सहूलियत के बनाकर तैयार किया जा रहा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक एक 272 किलोमीटर लंबा रेल मार्ग है, जिसमें भारत से ऊंचे रेलवे ब्रिज और टनल को बनाकर तैयार किया जाएगा। इस रेलवे लाइन में 12 किलोमीटर लंबी टी-49 टनल बनाई जाएगी, जो भारतीय रेलवे की सबसे लंबी सुरंग होगी। यह एक चुनौती भरा रेलवे मार्ग है, लेकिन इसके पूरा होने पर जम्मू कश्मीर के व्यापारियों और कारोबारियों को देश के अन्य राज्यों से संपर्क करने और अपना कारोबार बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा जम्मू कश्मीर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए भी यूएसबीआरएल एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट साबित होगा, जो साल 2023 के अंत तक पूरा हो जाएगा।

दिल्ली गाजियाबाद मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर
दिल्ली से मेरठ तक का सफर तय करना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि इस दौरान आम लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आम लोगों की समस्या को हल करने के लिए दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड ट्रेन का परिचालन शुरू किया जाएगा, जिसके तहत दिल्ली गाजियाबाद मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। इस मेगा प्रोजेक्ट को तीन फेज में पूरा किया है, जिसमें पहले फेज में साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक 17 किलोमीटर की दूरी रैपिड रेल के जरिए पूरी की जाएगी। इस पहले फेज के रेलवे रूट में कुल 5 स्टेशन होंगे, जिसमें साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो का नाम शामिल है। इस रैपिड रेल की वजह से दिल्ली से मेरठ तक का सफर चंद मिनटों में पूरा किया जा सकता है, जबकि इसमें यात्रियों को कई प्रकार की सुविधाएं भी मिलेगी। रैपिड रेल में इंटेग्रेटेड एसी सिस्टम, ऑटोमेटिक डोर कंट्रोल सिस्टम, मोबाइल यूएसबी चार्जर और डायनेमिट रूट मैप जैसी सुविधाएं शामिल हैं, जबकि यात्री अपनी सुविधा अनुसार ट्रेन की सीट को भी एडजेस्ट कर सकते हैं। इस मेगा प्रोजेक्ट के दूसरे फेज में मेरठ को दिल्ली से जोड़ने का काम किया जाएगा, जिसके तहत रेलवे रूट में कुल 24 स्टेशन बनाए जाएंगे और इन स्टेशनों में 30 रैपिड ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड ट्रेन को शुरू करने का मुख्य मकसद सड़कों पर भीड़भाड़ और एयर पॉलीयूशन को कम करना है, जिसके तहत रैपिड ट्रेन में रोजाना 8 लाख यात्री आराम से सफर कर सकते हैं। इस कॉरिडोर परियोजना के तहत पहले फेज को जल्द ही आम यात्रियों के लिए शुरू किया जाएगा, जबकि इसका दूसरा फेज साल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

अमृतसर जामनगर एक्सप्रेस-वे
देश के मेगा प्रोजेक्ट्स की लिस्ट में अमृतसर जामनगर एक्सप्रेस-वे का नाम भी शामिल है, जो 4 बड़े राज्यों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करेगा। यह भारत का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा, जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसकी कुल लंबाई 1,224 किलोमीटर है। इस मेगा प्रोजेक्ट को शुरू करने का मुख्य मकसद राज्यों के बीच दूरी को कम करना और औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ावा करना है, जिसकी वजह से अमृतसर से जामनगर की दूरी तय करने में सिर्फ 13 घंटे का समय लगेगा। इस एक्सप्रेस-वे में 10 लेन बनाकर तैयार की जाएगी, जिसमें कुल 26,000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।

मुंबई नागपुर एक्सप्रेस-वे
मुंबाई वासी जल्द ही नागपुर तक का सफर कम समय में आरामदायक ढंग से पूरा कर पाएंगे, जिसके लिए नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग नामक मेगा प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। इस परियोजना को साल 2022 में शुरू किया गया था, जिसके तहत मुंबई से नागपुर की कुल दूरी को कम करने की कोशिश की गई है। इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 701 किलोमीटर है, जिसके तहत नागपुर से शिरडी तक पहले फेज में 520 किलोमीटर का रास्ता तैयार किया जाएगा। वहीं इस प्रोजेक्ट के दूसरे फेज में 181 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर तैयार किया जाएगा, जिसकी वजह से मुंबई से नागपुर तक का सफर सिर्फ 9 से 10 घंटे में पूरा किया जा सकता है। इस परियोजना के तहत 5 फ्लाईओवर, 33 मुख्य पुल, 274 छोटे पुल, 8 रेलवे ओवर ब्रिज, 25 इंटरचेंज, 6 सुरंग, 189 अंडरपास, पशु व पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए 209 अंडरपास तैयार किए जाएंगे। इस मेगा प्रोजेक्ट में कुल 55,335 करोड़ रुपए की लागत आएगी, जबकि एक्सप्रेस-वे पर रोजाना 30 से 35 हजार वाहन आवाजाही कर सकते हैं। फिलहाल इस एक्सप्रेस-वे को 6 लेन में तैयार किया जा रहा है, जिसे आगे जरूरत पड़ने पर 8 लेन का भी तब्दील किया जा सकता है।

दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे भारत के सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसे साल 2023 के आखिर तक आम लोगों के लिए शुरू कर दिया जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे की मदद से दिल्ली से जयपुर तक की यात्रा करने में काफी आसानी हो जाएगी, जिसकी वजह से राजधानी से जयपुर तक का सफर तय करने में सिर्फ 2.5 घंटे का समय लगेगा। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 1,350 किलोमीटर है, जिसकी मदद से दिल्ली और मुंबई को आपस में कनेक्ट किया जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे का पहला फपेज तैयार हो चुका है, जिसके तहत दिल्ली दौसा और लालसोट को आपस में जोड़ने के लिए 246 किलोमीटर लंबा रास्ता बनाया गया है और इसमें कुल 12,150 करोड़ रुपए का खर्च आया है। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है, जिससे दिल्ली से मुंबई तक की कुल दूरी 12 प्रतिशत तक कम हो जाएगी और दोनों शहरों के बीच यात्रा करने में 12 घंटे का वक्त लगेगा। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे मुख्य रूप से 6 राज्यों से होकर गुजरेगा, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र का नाम शामिल है।

Kush Singh

I write and review news over Kanpuriya News. My focus is to bring people near positive and genuine news only.