भारत में साइबर ठगों ने लोगों को ठगने के लिए एक नया तरीका अपनाया है, विभिन्न मीडिया खबरों में जारी सूचना के अनुसार इन दिनों कुछ साइबर गैंग मिलकर लोगों के पुराने मोबाइल को इकट्ठा कर रहे हैं, इसका मतलब है इन दिनों गांवों एवं शहरों में कई अलग-अलग गए घूम घूम कर आपके पुराने टूटे-फूटे मोबाइल को खरीद रहे हैं।

असल ख़रीदार ज़िम्मेवार

आपके इस मोबाइल को खरीदने के बाद या गैंग उन्हें रिपेयर करके ठीक कराता है एवं उसे अलग-अलग वारदातों को अंजाम देते हैं। ऐसा करने के पीछे वजह भी साफ है, पुराने मोबाइल को ठीक कराने में पैसे कम लगते हैं एवं उस मोबाइल से कोई साइबर क्राइम करने पर मामला मोबाइल के खरीदार के ऊपर दर्ज हो जाता है।

 

पुलिस को मिले दर्जनो मामले

कई क्षेत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार पुलिस को कई ऐसे मामले मिले हैं जिसमें की मोबाइल के खरीदार ने अपने उस मोबाइल को फेरीवाले से बेच दिया था, और फेरीवाले ने मोबाइल को साइबर ठगों के गैंग को सौंप दिया था जिसके बाद वह गैंग उस मोबाइल को ठीक करा कर के उससे साइबर क्राइम को अंजाम दिया था। एवं तहकीकात करने पर पुलिस मोबाइल के असल खरीदार तक पहुंच गई।

NCIB ने जारी की अधिकारिक सूचना

नेशनल क्राईम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ताजा जानकारी जारी करते हुए कहा है कि अगर आपके गांव कस्बा या मोहल्ले में टूटे-फूटे मोबाइल खरीदने के लिए फेरीवाले घूम रहे हैं तो उन्हें अपना पुराना मोबाइल ना बेचे, क्योंकि यही टूटा फूटा मोबाइल साइबर ठगों के लिए ठग करने का एक बड़ा हथियार बन रहा है एवं मोबाइल बेचने वाले के लिए यह एक मुसीबत का कारण भी बन रहा है।

 

आम लोगों से अवगत कर रहे साइबरक्राइम प्रभारी

साइबर क्राइम सेल के प्रभारी मनोज कुमार पंत कहते हैं कि किसी भी फेरीवाले को जरा सी लालच में मोबाइल बेचना आपके लिए महंगा पड़ सकता है क्योंकि कई बार टूटे-फूटे मोबाइल में हमारे कुछ पर्सनल डाटा रह जाते हैं जिसका उपयोग गलत तरीके से भी किया जा सकता है। इस बात का प्रचार साइबर क्राइम प्रभारी ने बड़े पैमाने पर शुरू किया है।

Kush Singh

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