आज के टाइम में स्मार्टफोन तो हर कोई यूज़ रहा है। और कुछ लोग जो फोटो वीडियो खींचने और बनाने की शौकीन होते हैं वह तो कैमरा क्वालिटी देखकर ही फोन खरीदते हैं। सिर्फ मेगापिक्सल ही समझते हैं और वही देख कर फोन खरीदते हैं। बाकी इस में यूज होने वाले अन्य शब्द जैसे कि सेंसर, अपर्चर, शटर, स्पीड, वाइड एंगल, मैक्रो, नाइट और ना जाने कितने शब्दों का इस्तेमाल होता है जिसमें से आजकल OIS नाम कई बार सुनने को मिलता रहता है जिसके बारे में लोगों को कुछ खास पता नहीं होता है। आज हम आपको इसी फीचर के बारे में बताएंगे विस्तार से।

OIS क्या होता है

OIS का पूरा नाम ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजेशन (optical image stabilisation) है। यह फोटो और वीडियो शूट करते वक्त हाथ के मूवमेंट को एडजस्ट करके बेहतर पिक्चर क्वालिटी देने में मदद करता है। OIS मैं एक छोटा जायरोस्कोप लगा होता है जो हाथ के मूवमेंट को समझकर उलटी दिशा में कैमरे को ले जाता है। इसके साथ ही इसमें एक फोटो लगा होते हैं जो कि real-time पर हाथ के मूवमेंट को समझता है उसी के अनुरूप कैमरे को एडजस्ट कर देता है। यानी कि अगर हाथ का हाथ गलती से किसी भी होता है तो कैमरा ऊपर भी सब्जेक्ट पर रहेगा अगर आपका हाथ टाइम ऑफ करेगा तो कैमरा बाय और वह करेगा इस तरह से OIS अपनी पिक्चर क्वालिटी को स्टेबिलिटी प्रदान करता है।

OIS कैसे करता है काम

दरअसल हम लोग जब कैमरे का इस्तेमाल करते हैं फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए तो हमारा हाथ फिर जाता है जिसकी वजह से फोटो वीडियो खराब हो जाती है यानी कि ब्लर हो जाती है और OIS ऐसी प्रॉब्लम का सलूशन है। होता यूं है कि वीडियो फोटो शूट करते वक्त फोन हिलने पर यह कैमरे को फिजिकली मोपकर उस मोमेंट को एडजस्ट करने में मदद करता है। अब आप सोच रहें होंगे क्या कैमरा मूव करता है? तो,हां!आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं। OIS मैं कैमरे मिश्रा का फंक्शन होता है कि वह किसी भी हल्के-फुल्के मूवमेंट को एडजस्ट कर सकता है। OIS कल ज्यादातर फायदा रात को देखने को मिलता है अक्सर अंधेरे में शूट करते वक्त रोशनी को एडजस्ट करने में हाथ हिल जाता है और फोटो ब्लर हो जाती है, लेकिन OIS हाथ की इस मूवमेंट को एडजस्ट करके बेहतर पिक्चर क्वालिटी देने में मदद करता है।

Kush Singh

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