History of Varanasi- आखिर कैसे हुवा था बनारस नगर की स्थापना, यहाँ पढ़िए और लीजिये पूरी इतिहास की जानकारी

वाराणसी का इतिहास(History of Varanasi):-

आइए हम आपको भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध नगर वाराणसी के बारे में जानने की कोशिश करते है । काशी  नगर की स्थापना पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पहले किया था। काशी हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस नगर का उल्लेख रामायण, स्कंद पुराण, प्राचीनतम वेद ऋग्वेद, महाभारत जैसे महान ग्रंथों में किया गया है। काशी नगरी रेशमी कपड़ों, इत्रों, मलमल, शिल्प कला और हाथी दांत का व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र रहा है यही नहीं वाराणसी काशी का राज्य की राजधानी गौतम बुध के समय में हुवा करता था।

वाराणसी का मूल नाम काशी  है, इस नगर को बनारस और काशी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार वाराणसी को सबसे पवित्र जगह माना जाता है यही नहीं जैन धर्म और बौद्ध धर्म में भी वाराणसी को बहुत ही पवित्र नगर जाना जाता है। वाराणसी शहर का सबसे खास बात यह है कि इस संसार के बसे शहरों में से सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक माना जाता है।

बनारस को भारत के धार्मिक राजधानी, मंदिरों का शहर, भगवान शंकर की नगरी, दीपों का शहर के नाम से भी लोग विशेषण करते हैं। एक अमेरिकी लेखक मार्क द्वेन बनारस के बारे में लिखते हैं कि बनारस इतिहास से भी पुरातन है, किंवदंतियों से भी पुराना है यही नहीं परंपराओं से भी पुराना है और अगर सबको इकट्ठा कर दिया जाए तो उसी हिसाब से वाराणसी  दो गुना प्राचीन हो जाएगा। वाराणसी के सांस्कृति का गंगा से अटूट रिश्ता है यह शहर भारत का सैकड़ों बरसों से सांस्कृतिक और धार्मिक जगह है। आपको बता दें कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का जन्म और विकसित वाराणसी में ही हुआ है।

 

वाराणसी में महान विभूतियों का वास रहा-

वाराणसी यानी काशी में प्राचीन काल से बहुत सारे महान विभूतियों का वास समय-समय पर होता रहा है। काशी की इतिहास के अनुसार यहां पर धनवंतरी, महर्षि अगस्त्य, संत कबीर, गौतम बुध, अघोराचार्य बाबा कानीराम, रानी लक्ष्मीबाई, पार्श्वनाथ , पाणिनी , संत रैदास, स्वामी रामानंदा चार्य , वल्लभाचार्य ,शंकराचार्य, पतंजलि, महर्षि वेदव्यास और तुलसीदास का वास रहा है।

वाराणसी शास्त्रीय संगीत का जन्म स्थान-

इतिहास के अनुसार हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत काशी में यहां ही जन्मा और विकसित हुआ है। बहुत सारे प्रसिद्ध कवि लेखक और संगीतज्ञ काशी से ही रहे हैं। जिनमें रविदास, स्वामी रामानंद, कबीर, वल्लभाचार्य, त्रैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, शिवानंद गोस्वामी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, गिरिजा देवी, पंडित रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्लाह खा, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की हिंदू धर्म का परम पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस को गोस्वामी तुलसीदास ने काशी में ही लिखा था और यही नहीं प्रसिद्ध गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन बनारस के समीप सारनाथ में ही दिया था।

बनारस का शिक्षा में एक अलग ही पहचान है-

हम आपको बता दें कि वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाईयर टीबेटीयन स्टडीज, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय स्थित है।

घाट-

वाराणसी के घाटों की बात करें तो इतिहास के अनुसार वाराणसी के अलग अलग घाट अलग अलग राजाओं के द्वारा बनाया गया है। इन सब राजयो में सिंधिया, होल्कर , मराठा , पेशवा और भोसले हैं। काशी में घाटों की वजह से ही यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। बनारस की सबसे पुरानी घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप दशाश्वमेध घाट माना जाता है। ठीक वहीं पर मणिकर्णिका घाट महासमसान स्थित है।

काशी विश्वनाथ मंदिर(KASHI VISHWANATH MANDIR )-

कहा जाता है कि बनारस के 23000 मंदिरों में से काशी विश्वनाथ मंदिर का एक अलग और विशेष स्थान है। यह मंदिर हिंदू धर्म की पवित्रता 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर को कई बार ने तोड़ा गया है और फिर दोबारा बनाया भी क्या है। यही नहीं यह भी कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर के साथ ही है और यह भी कहा जाता है कि मस्जिद मंदिर की ही मूल जगह पर बनाया गया है। मुगल शासक औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद को मंदिर तोड़कर बनवाया था यही नहीं औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर आलम गिरी मस्जिद को भी बनवाया था।

आबादी( Population of Varanasi)-

यहां की आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार करी 36,76,841 है। बड़ी आबादी में महिलाओं की संख्या 1754984 और पुरुषों की संख्या 1921857 थी। बनारस के टोटल आबादी में शहर की आबादी 20 लाख के आसपास है जबकि ग्रामीण की आबादी लगभग एक लाख है। यहां का लिंगानुपात के अनुसार देखा जाए तो हजार पुरुषों पर 913 महिलाएं है। बनारस में साक्षरता का दर करीब-करीब 76% है और वही पुरुष और महिलाओं की साक्षरता की दर की बात करें तो यहां पुरुषों का लगभग 84% है और वही 77% महिलाओं का है।

धर्म(RELIGION )-

वाराणसी में वैसे तो सभी धर्म के लोग रहते हैं लेकिन यहां पर सबसे ज्यादा लगभग 70% आबादी हिंदुओं की है। वही मुस्लिम लोगों की बात करें तो यहां 28% मुस्लिम आबादी है। हिंदू और मुस्लिम के अलावा यहां पर क्रिश्चियन, सीख, जैन और बौद्ध धर्म के लोग भी रहते हैं। वाराणसी में बताया जाता है कि यहां पर 33 सौ हिंदू मंदिर है। यहां पर 9 बौद्ध स्थल, तीन जैन मंदिर और तीन गुरुद्वारा है।

राजनीति(POLITICS )

वाराणसी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। आपको बता दें कि 2014 और 19 के लोकसभा चुनाव हुआ था जिसमें नरेंद्र मोदी वाराणसी से ही दोनों बार जीत दर्ज किया। आपको बता दें कि वाराणसी में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें सेवापुरी, रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण और वाराणसी छावनी शामिल है।

बनारस का प्रसिद्ध मिठाइयां-

यहां की मिठाइयों में  एक अलग ही मिठास होता है।  यहां की प्रसिद्ध मिठाईयां जैसे गुलाब जामुन, रसगुल्ला, मलाई  गिलोरी, लॉन्गलता, बेसन के लड्डू, खीर कदम  और भी बहुत सारी मिठाइयां शामिल है। जो लोग एक बार इसका स्वाद चख लेते है उनको दुबारा खाने मन न करे ऐसा हो ही नहीं सकता है। 

 

 प्रसिद्ध कुल्हड़ की चाय-

आपको बता दें कि चाय का शौकीन तो लगभग हर कोई होता है।  लेकिन आपको कुल्हण  वाली चाय का मजा लेना चाहते हैं तो बनारस में आकर ले सकते हैं।  यहां की कुल्हड़ वाली चाय मिट्टी से बनी कुल्हड़ मैं दिया जाता है जिसका स्वाद ही अलग होता है।  यहां पर चाय की दुकानों पर बहुत ही बड़ी संख्या में भीड़ लगती है।  कुल्हड़ में चाय पीने का मजा इसलिए आता है क्योंकि मिट्टी से  बने इस कुल्हड़ में शोधि सौंधी खुशबु चाय का स्वाद बढ़ जाता है। 

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