बिहार का तस्वीर बदलेगा इन ज़िलों का नया एयरपोर्ट, देवघर के बाद शुरू हुई बिहार की तैयारी

देवघर एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद बिहार में एक बार फिर एयरपोर्ट खोलने की मांग उठने लगी है। बिहार के कई शहरों में बंद रनवे और एयरपोर्ट को बहाल करने की मांग की जा रही है। सरकार ने समय-समय पर लोगों को यह आश्वासन भी दिया है कि ये हवाईअड्डे चालू हो जाएंगे।

 

देवघर एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद बिहार में एयरपोर्ट को फिर से खोलने की मांग उठने लगी है। बिहार के कई शहरों में बंद रनवे और एयरपोर्ट को बहाल करने की मांग की जा रही है। सरकार ने समय-समय पर लोगों को यह आश्वासन भी दिया है कि ये हवाईअड्डे चालू हो जाएंगे।

# बिहार में तीन हवाईअड्डे चालू

बिहार में पटना, दरभंगा और गया हवाईअड्डे लोगों को हवाई सेवा मुहैया करा रहे हैं। पूर्णिया, भागलपुर, रक्सौल, गोपालगंज जैसे कई शहरों में हवाई अड्डों की बहाली की मांग बढ़ रही है। पूर्णिया हवाई अड्डे को उड़ान योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जबकि भागलपुर हवाई अड्डे पर छोटी एयरलाइनों के पुनर्वास के प्रयास चल रहे हैं।

 

# पूर्णिया का दावा सबसे मजबूत

पूर्णिया हवाई अड्डे का सबसे मजबूत दावा है। माना जा रहा है कि अगर बिहार का अगला एयरपोर्ट बहाल होता है तो वह पूर्णिया एयरपोर्ट होगा। पूर्णिया हवाई अड्डे का निर्माण दरभंगा महाराज ने आजादी से पहले करवाया था। हवाई अड्डा वर्तमान में भारतीय वायु सेना के नियंत्रण में है। इसके रनवे की मरम्मत की जा रही है। एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही यहां से हवाई सेवा शुरू हो जाएगी।

 

# भागलपुर की उम्मीद कायम

देवघर एयरपोर्ट खुलने से भागलपुर के लोगों की एयरपोर्ट को लेकर और भी बेचैनी हो गई है। इसके छोटे आकार के कारण यहां बड़े जहाजों का परिवहन संभव नहीं है। यहां एयरपोर्ट का विस्तार भी संभव नहीं है। यहां से छोटे जहाजों की सेवा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कोलकाता समेत कुछ शहरों से भागलपुर के लिए उड़ानें जल्द शुरू हो सकती हैं।

 

# गोपालगंज व रक्सौल की तैयारी

सरकार लंबे समय से दो हवाई अड्डों में से एक, गोपालगंज और रक्सौल को लॉन्च करने पर विचार कर रही है। रक्सौल हवाई अड्डा जहां नेपाल की सीमा पर स्थित है, वहीं गोपालगंज वह क्षेत्र है जहां से सबसे अधिक लोग दुबई जैसे देशों में प्रवास करते हैं। ऐसे में सरकार पर दोनों विकल्पों पर विचार करने का दबाव है। वैसे दोनों एयरपोर्ट्स की हालत बेहद खराब है। ऐसे में सरकार को इन हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण करना होगा।

 

# उन्होंने इन शहरों में बंद हवाई अड्डों को फिर से खोलने की भी मांग की

इन हवाई अड्डों के अलावा, सुपौल, बेगूसराय, मोकामा, किशनगंज और मुजफ्फरपुर में बंद हवाई अड्डों को बहाल करने की समय-समय पर मांग होती रहती है। मुजफ्फरपुर के पताही हवाईअड्डे के लिए सोशल मीडिया पर जोरदार अभियान चला लेकिन सरकार ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि विस्तार की कोई संभावना नहीं थी।

 

# आजादी के समय बिहार में 21 रनवे और एक एयरपोर्ट था

बिहार में आजादी से पहले के कुल दो दर्जन हवाई अड्डे और रनवे हैं, जिनमें से अधिकांश जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं। उलाव जैसे कुछ रनवे अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं तो कुछ रनवे जैसे डुमरान इतिहास बन गए हैं। इसके बावजूद बिहार में करीब एक दर्जन हवाई अड्डे और रनवे हैं जिन्हें छोटी और मध्यम आकार की उड़ानों के लिए खोला जा सकता है. इससे छोटे शहरों का बड़े शहरों से जुड़ाव बेहतर होगा।

 

# बिहटा और दरभंगा का विकास कार्य भी काफी धीमा है।

वैसे, बिहार में नागरिक उड्डयन मंत्रालय हमेशा अन्य राज्यों की तुलना में अधिक निष्पक्ष रहा है। जहां वर्तमान में कई राज्यों में नए हवाई अड्डे बन रहे हैं, वहीं बिहार के बिहटा और दरभंगा में हवाई अड्डों का विकास बहुत धीमा है। इस मामले को लेकर इलाके के लोगों में गुस्सा भी है। उड़ान योजना के तहत देश के सबसे सफल हवाईअड्डे के रूप में अपना नाम दर्ज करा चुके दरभंगा हवाईअड्डे को सुविधाओं की सख्त जरूरत है। यहां तक ​​पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है, मिलने के लिए आरामदेह कुर्सी भी नहीं है। फिर भी, लोग अभी भी हवाई अड्डे पर तीन गुना किराया देते हैं।

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