बिहार और गोरखपुर के रेलयात्रियो के इस बड़े समस्या का समाधान अब तक नही हो सका

जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना महामारी में लोकल ट्रेनों का किराया भी एक्सप्रेस ट्रेनों के बराबर ही था। सरकार ने कोरोना काल के बाद लोकल ट्रेन की सेवा तो शुरू कर दी, पर किराया अभी तक नहीं घटाया गया है। एक्सप्रेस ट्रेनों के बराबर ही किराया वसूला जाता है। आपको बता दें कि रेलवे ट्रेनों में प्रति व्यक्ति ₹30 किराया वसूल रहा है, जबकि लोकल ट्रेनों का किराया ₹15 होना चाहिए था। पूर्वोत्तर रेलवे की 85 सवारी गाड़ियां लोकल रूट पर चलती है। गोरखपुर से डोमिनगढ़, नकहा, कैंट स्टेशन तक 3 से 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में यात्रियों को दोगुना किराया देना पड़ रहा है।

 

# क्या क्या बदलाव किए हैं रेलवे ने कोरोना काल के बाद__

 

पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर चलने वाले 123 एक्सप्रेस ट्रेनों के साधारण कोचों में जनरल टिकट पर यात्रा शुरू हो गई है । जिससे अब यात्रियों को जनरल कोच में यात्रा करने में सुविधा हो रही है । आरक्षण के नाम पर यात्रियों से जो ज्यादा पैसा देना पड़ता था । अब 15 से 30 रुपये की बचत यात्रियों की हो रही है । अब यात्री स्टेशन पर जनरल काउंटर से टिकट लेकर जनरल बोगी में यात्रा कर रहे हैं । कोविड-19 महामारी से पहले की भांति एक्सप्रेस ट्रेनें चलने लगी है । कोविड-19 काल से ही वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे के किराए में रियायत मिलती थी, वह भी बंद हो गई थी । सब कुछ सामान्य होने के बाद भी अभी बुजुर्ग यात्रियों को किराए में मिलने वाली छूट फिर से शुरू नहीं हुई है ।

 

लेकिन इन सबके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यह है कि, लोकल रूट पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों में रेलवे 15 की जगह ₹30 किराया क्यों वसूल रहा है। कोविड-19 के समय से ही पैसेंजर ट्रेनों को भी स्पेशल बना कर चलाया जा रहा था, क्योंकि अब हालात काबू में है, इसके बावजूद पैसेंजर ट्रेनें आज भी उसी तरह चल रही है। वहीं दूसरी तरफ बिहार की रूटों पर चलने वाली गाड़ियों के जनरल बोगियों में तो पैर रखने की भी जगह नहीं है। लगभग सारी ही गाड़ियां भरी हुई आ रही है।

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