गोरखपुर सहित यूपी के सभी 75 जिलों में लगेंगे BIOFUEL प्लांट, बढ़ेंगे रोजगार, जानिए क्या होता है बायोफ्यूल

उत्तर प्रदेश सरकार ने बायो फ्यूल प्लांट को लेकर एक अच्छी खबर दिया है। बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में काम से काम एक बायो फ्यूल प्लांट की स्थापना के लिए नियोजित प्रयास किया जाए, वही कार्य प्राथमिकता के साथ हो। इसे हर तहसील तक अगले चरण में बढ़ाया जाना चाहिए बायोफ्यूल प्लांट की स्थापना व बायोमास भंडारण को लेकर ग्राम समाज राजस्व भूमि या चीनी मिल परिसर में खाली जमीन का इस्तेमाल किया जाए। इस प्लांट के लगने से रोकगार के भी सृजन होंगे।

क्या होता है BIOFUEL( जैव ईंधन )

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि (BIOFUEL)  जैव ईंधन प्रकार की ऊर्जा है जो फ्यूल  के रूप में पेड़, पौधों , वनस्पतियों और वेस्ट मटेरियल से प्राप्त किया जाता है। आइए इसे ऐसा समझते हैं कि जो ऊर्जा या फ्यूल धरती के अंदर से निकलता है उसे FOSSIL FUEL या जीवाश्म से  बनने वाला इंधन कहते हैं जैसे पेट्रोल और डीजल यह फॉसिल फ्यूल है।  लेकिन फॉसिल फ्यूल को बनने में कई वर्ष लग जाते हैं कई बार इसे बनने में कई सदियां लग जाती हैं लेकिन अगर इसी लाखों साल की नेचुरल प्रोसेस को कुछ दिनों या कुछ घंटों की साइंटिफिक प्रोसेस में बदल दिया जाए तो जो फ्यूल बनेगा उसका नाम बायोफ्यूल होगा। 

आपको बता दें कि बायोफ्यूल बायोमास से बने  ज्वलनशील इंधन होता है बायोमास मतलब हाल ही में मरे जीवो या पेड़ पौधों से प्राप्त जैव ईंधन जो ऊर्जा का काफी अच्छा स्रोत है।  इसे सीधे जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है या इसको अलग-अलग तरीकों से जय विंदर ने बदलकर उपयोग किया जा सकता है, इसमें उसमें विधि, रासायनिक विधि और जैव रासायनिक विधि शामिल है।  बता दे कि बायोमास की भौतिक संरचना और स्थिर होती है।  जिसमें आम तौर पर कार्बन, पानी और कार्बनिक पदार्थ शामिल होते हैं, आमतौर पर बायोफ्यूल शब्द पर तरल ईंधन के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें इथेनॉल  और बायोडीजल शामिल है,  जैव ईंधन सभी तरह के फसलों  पेड़-पौधे और  मानव मल आदि जैविक पदार्थों से भी प्राप्त किया जा सकता है जैव ईंधन मुख्यतः दो प्रकार के होते है पहला इथेनॉल और दूसरा बायोडीजल

 

 बायोफ्यूल का उपयोग 

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बायोफ्यूल के इस्तेमाल का बड़ा फायदा यह है कि इससे प्रदूषण कंट्रोल होता है और एक बड़ा लाभ यह भी है कि किसानों के पास फसल के बाद फसल का जो हिस्सा बेकार हो जाता है उसे बायोफ्यूल बन सकता है। यही नहीं फसल के हिस्से के  इस्तेमाल से प्रदूषण भी कम होता है और किसानों की कमाई भी हो जाती है।

 

जानिए मुख्यमंत्री ने क्या कहा 

मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय हुई बैठक में रविवार को बायोफ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने को लेकर जोर देते हुए जैव ऊर्जा नीति तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा कि भविष्य की जरूरतों के लिए हमें बायो में सप्लाई चैन का विकास करना होगा, वही ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। आपको बता दें कि विद्युत उत्पादन गृहों में बायोमास पैलेट्स का उपयोग किया जाना चाहिए।सीएम ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की के अनुसार कंप्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, इथेनॉल और बायोडीजल जैसे जैव ऊर्जा प्रकल्पो को प्रोत्साहन के हमारे प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है

 

अब तक बायोकोल की दो प्लांट में उत्पादन शुरू हो चुका है और कंप्रेस्ड बायोगैस की एक इकाई जून में पूरी हो चुकी है। सीएम ने कहा कि बायोफ्यूल को बढ़ावा देना कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देने में सहायक साबित होगा बायोफ्यूल न केवल हमारी उर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा बल्कि अतिरिक्त आय और रोजगार सृजन भी करेगा।वही बायोफ्यूल के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी पूरी दुनिया इस विषय पर चिंतित है उत्तर प्रदेश के पास एक मॉडल प्रस्तुत करने का अच्छा अवसर है

 

अपार संभावनाओं से भरे क्षेत्र में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने के लिए नई ऊर्जा नीति तैयार किया जाए।प्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुसार 5 वर्षों में 500 सीबीजी प्रतिदिन कंप्रेस्ड गैस उत्पादन के लक्ष्य को लेकर प्रयास करें तब वहीं प्रतिवर्ष 1.5 लाख उत्पादन का लक्ष्य हासिल हो पाएगा बायोकोल, बायोडीजल और बायो एथेनॉल के लिए 2000-2000 टन प्रतिदिन लक्ष्य के हिसाब से काम किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह आश्वस्त किया कि इस क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता पूंजीगत उत्पादन सहित सभी जरूरी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।

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