गोरखपुर कम्हरिया घाट पुल आठ साल बाद निर्माण हुवा पूरा, पुल के निर्माण के लिए जल समाधी की दी गयी थी धमकी, आवागमन हुवा शुरू

गोरखपुर वासियों को आवागमन के लिए एक और पुल का मिलने वाला है बता दें कि गोरखपुर जिले के सरयू नदी के कम्हरिया घाट पर पुल बनकर तैयार हो चुका है और छोटे वाहनों का आवागमन भी शुरू हो गया है। मिल रही जानकारी के अनुसार जल्द ही इस पुल का लोकार्पण होगा जिसके बाद बड़े वाहनों का भी आवागमन शुरू हो जाएगा। इस पुल के निर्माण के लिए आंदोलन भी हुआ था और जल समाधी लेने की धमकी भी दी गयी थी।

  • इन छह जिलों की दूरी हो जाएगी कम

जिले के सरयू नदी के कम्हरिया घाट पर बने इस पुल से आजमगढ़, अंबेडकर नगर, प्रयागराज, जौनपुर, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ की यात्रा आसान हो जाएगी, पुल पर आवागमन शुरू होने से इन जिलों की दूरी कम हो जाएगी जिससे यात्रा करने में आसानी होगी।

  • 2014 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण

आपको बता दें कि कम्हरिया घाट पुल का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था उस समय 193 करोड़ रूपये का बजट मिला था। इस पुल का निर्माण अब जाकर पूरा हुआ है लगभग 8 साल बाद इस पुल को बनने में समय लगा है। नागपुर की कंपनी खरे एंड तारकुंडे समय पर काम नहीं पूरा कर पाई जिसके बाद कंपनी का ठेका निरस्त कर दिया गया था वही ब्रिज कारपोरेशन के द्वारा निर्माण कार्य तेजी में कराया गया जिसके बाद यह पुल बनकर तैयार हुआ है।

  • तीन जिलों को जोड़ेगा कम्हरिया घाट पुल

सरयू नदी पर बनाया गया यह पुल 3 जिलों-गोरखपुर, संतकबीर नगर और अंबेडकरनगर को जोड़ता है इसलिए स्थानीय और क्षेत्र की जनता पूल के शुरू होने से काफी उत्साहित है क्योंकि इन जिलों से होकर दूसरे जिलों की दूरी कम समय में ही पूरी की जा सकेगी।

  • आंदोलन के बाद पुल का हुआ था निर्माण, जल समाधी के लिए दो लोग कूड़े थे पानी में

आपको बता दें कि बेलघाट विकास खंड के सरयू नदी पर पुल बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी लेकिन सरकार के द्वारा कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। वही सत्यवंत सिंह की अगुवाई में वर्ष 2013 में आंदोलन शुरू हुआ और देखते-देखते यह आंदोलन एक बड़ा रूप ले लिया।उसके बाद अंबेडकर नगर के लोग भी समर्थन में आ गए।

यहां तक की आंदोलनकारियों ने जल समाधि लेने की भी धमकी प्रशासन को दे डाली, इसके बाद प्रशासन के द्वारा जल पुलिस की तैनाती कराई गई। बता दें कि कुछ समय के बाद सत्यवंत सिंह और भिखारी प्रजापति नदी में कूद गए थे लेकिन प्रशासन के द्वारा पहले से तैनात किए गए जल पुलिस के द्वारा उन्हें बचा लिया गया था। पानी में कूदने की बात शासन तक पहुंची जिसके बाद पुल का निर्माण कराने की घोषणा की गई थी।

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