अब कानपुर लोकल ट्रेनों में मिलेंगी यह आधुनिक सुविधाएं, बनकर तैयार हुवा मेमू शेड, उद्घाटन के लिए पीएम को लिखा गया पत्र

कानपुर मेमू ट्रेनों का अब हब बन जाएगा, आपको बता दें कि ट्रेनों के कोचों में टॉयलेट की सुविधा समेत कई अन्य आधुनिक सुविधाएं भी होंगे। फिलहाल एक मेमू ट्रेन कानपुर सेंट्रल से चित्रकूट के मानिकपुर तक चलाई जा रही है और खुशी की बात यह है कि तीन और ट्रेने मिल चुकी है। यह तीनों ट्रेन कानपुर के सेंट्रल रेलवे स्टेशन से आगरा, टूंडला, गाजियाबाद, झांसी, कासगंज और प्रयागराज जैसे रूटों पर चलाई जाएंगी। रेलवे बोर्ड के तरफ से अनुमति मिलने के बाद इन ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। अफसरों के अनुसार कई और ट्रेने अभी मिल सकती हैं जिससे ट्रेनों की संख्या और बढ़ जाएँगी।

लोकल ट्रेनों में टॉयलेट और आधुनिक सुविधा नहीं होने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं कभी-कभी यात्री चेन खींचकर गाड़ी कहीं भी खड़ी कर देते हैं ऐसी समस्याओं से रेलवे जूझ रहा है। लेकिन अब रेलवे को ऐसी समस्याओं से गुजारना नहीं पड़ेगा क्योंकि इन सभी समस्याओं को देखते हुए रेलवे द्वारा नया कोच तैयार किया गया है जिनमें सारी सुविधाओं होंगी। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई से बन के आई तीन ट्रेनों के कोचों में सभी सुविधाओं से लैस है। इन ट्रेनों में आरामदायक सीट के साथ-साथ यात्रियों के खड़े होने का स्थान भी ज्यादा रखा गया है। पहले मेमू ट्रेनों में टॉयलेट जैसी सुविधा नहीं दिया जाता था लेकिन मेमू ट्रेनो के सभी कोचों में टॉयलेट उपलब्ध रहेगा, वही यात्रियों को पकड़ने के लिए हैंगिंग हैंड ग्रिप काफी संख्या में दिया गया है।

आपको बता दें कि सभी कोचों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं इन सभी कमरों का नियंत्रण पायलट के पास होगा। यह सभी नई ट्रेने आसानी से गति पकड़ सकेंंगी क्युकी इनका इंजन थ्री फेस इलेक्ट्रिकल इंजन है।

मेमू शेड 130 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है जिसका उद्घाटन जनवरी 2021 में होना था लेकिन कोरोनावायरस संक्रमण के चलते हैं नहीं हो पाया था। लेकिन यहां ट्रेनों का मेंटेनेंस का काम शुरू है। अधिकारी बताते हैं कि शेड का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री को लेटर लिखा गया है।मेमू शेड जब नहीं बना था इससे पहले ट्रेनों के मेंटेनेंस के लिए गाजियाबाद भेजा जाता था जहां पहले से ही ट्रेनों के लाइन होने से मेंटेनेंस में 3 से 4 दिन का समय लगता था जिसके कारण ट्रेनों को निरस्त करना पड़ता था। लेकिन अब यह सारी सुविधा यहीं मिल जाएंगी।

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