सभी बिजली उपभोक्ताओं को आपको बता दें कि मीडिया खबर के अनुसार बिजली की दरो में भी अब हर महीने बदलाव होगी। वैसे तो डीजल-पेट्रोल के दामों में रोज बदलाव होता है ठीक वैसे ही बिजली की दरों में भी बदलाव अब हर महीने देखने को मिलेगा ।

बिजली दर बदलाव के यह हो सकते हैं कारण
दरअसल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस होता है, इन सभी इन इंधनो के कीमतों के आधार पर बिजली की दरें तय की जाएंगी और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी। बता दें कि यह नया प्रावधान अगले साल के शुरुआत में लागू होने की संभावना जताई जा रही है।

आपको बता दें कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 के तहत 2005 में फर्स्ट टाइम विनियम बनाए गए थे अब वही इसमें संशोधन की तैयारी है। विद्युत संशोधन विनियम 2022 का मसौदा जारी हो चुका है। संसद के मानसून सत्र में विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के पारित नहीं होने के कारण सरकार ने विनियमों में संशोधन के जरिए इसके प्रावधानों को लागू करने की दिशा में कदम उठाया है।

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के उप सचिव के तरफ से 12 अगस्त को सभी राज्य सरकारों समेत अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर सुझाव 11 सितंबर तक मांगा गया है। वही मसौदे के पैरा 14 में यह प्रावधान है कि वितरण कंपनी के द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की समय से वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने बिजली की दरें तय किए जाएंगे और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से किये जायेंगे।

बिजली कंपनियां पूरी आपूर्ति की लागत उपभोक्ताओं से करेगी वसूली

बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता के साथ दाखिल किए जाने वाले ट्रू अप प्रस्ताव में बढ़ी दरों का समायोजन किया जाएगा, जिसके लिए विद्युत मंत्रालय के द्वारा फार्मूलातय  किया जा चुका है वही आने वाले 11 सितंबर के बाद विनियम को अंतिम रूप देकर अधिसूचना जारी किया जाएगा, वही अधिसूचना जारी होने के 90 दिनों के बाद यह व्यवस्था लागू हो जाएगी, संसद में हाल ही में रखे गए विद्युत संशोधन विधेयक 2022 की धारा 61 (जी ) में भी यह प्रावधान किया गया है की बिजली कंपनियां पूरी आपूर्ति की लागत उपभोक्ताओं से ही वसूली करेगी।

बिजली कंपनियों के पीपीए में भी होगा बदलाव

आपको बता दें कि जो व्यवस्था अभी फिलहाल प्रभावी है उसके अनुसार वितरण कंपनियां उत्पादकों के साथ 25, 25 साल का विद्युत क्रय अनुबंध करती है जिसमें ईंधन की लागत बढ़ने पर वसूली का कोई भी प्रावधान नहीं होता है। दरअसल आपको बता दें कि यह टेंडर की शर्तों में शामिल रहता है कि ईंधन की कीमत घटने और बढ़ने का आकलन करके उसे समायोजित करते हुए वितरण कंपनियों को बेची जाने वाली बिजली की दर इंगित की जाए

चालू साल 5 मई को विद्युत मंत्रालय के द्वारा एक आदेश जारी किया गया था उसमें कहा गया था कि यदि पीपीए में इंधन की बढ़ी कीमत वितरण कंपनियों से वसूलने का प्रावधान नहीं है लेकिन इसमें वृद्धि को देखते हुए पीपिए  में संशोधन के लिए एक समिति का गठन किया गया है इस समिति में विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण व केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के प्रतिनिधि शामिल थे वही समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा कि पीपीए में संशोधन किया जाएगा, अगर पीपीए करने वाली वितरण कंपनी उस दर पर बिजली नहीं खरीदती है तो उत्पादन एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से उस बिजली को खुले बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।

Kush Singh

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